BABA KA DHABA FRAUD: बाबा का ढाबा हुआ स्कैम का शिकार, मामला पहुंचा थाने
लॉक डाउन ( LOCKDOWN) का समय हर किसी के लिए बेहद परेशानी भरा रहा खास तौर से गरीब और मजदूरों के लिए। लॉकडाउन के समय में हर किसी को अपना परिवार चलाने की दिक्कत होने लगी थी।

ऐसे में दक्षिण दिल्ली ( SOUTH DELHI) के मालवीय नगर की घटना वायरल होने लगी थी। जिसमें एक ढाबे की बात बताई गई थी, जो बेहद संवेदनशील रही।
BABA KA DHABA FRAUD: क्या है बाबा के ढाबे की कहानी
लॉकडाउन के समय 80 वर्षीय ढाबे के मालिक कांता प्रसाद ( KANTA PRASAD) बेहद परेशान नजर आए जब उनका ढाबा चल नहीं पा रहा था और उनके लिए खुद का खर्चा चला पाना मुश्किल हो रहा था।
इतनी ज्यादा उम्र होने पर उनके पास घर का खर्च चलाने के लिए कोई दूसरा साधन भी नहीं था। ऐसे में गौरव वासन ( GAURAV VASAN) नामक एक यूट्यूबर ने आकर उनके ढाबे को सोशल मीडिया में पोस्ट किया। जिसके बाद लगातार उनके ढाबे पर लोगों का जमावड़ा हो गया और इस प्रकार से उनके ढाबे का नाम “बाबा का ढाबा” ( BABA KA DHABA) हो गया।
BABA KA DHABA FRAUD: बाबा के ढाबे में आया नया मोड़
कुछ दिनों तक तो सब ठीक ठाक रहा लेकिन पिछले कुछ दिनों से बाबा के ढाबे पर स्कैम की खबर आ रही है जिसमें ढाबे के मालिक कांता प्रसाद ( KANTA PRASAD) ने गौरव वासन ( GAURAV VASAN) पर इल्जाम लगाया कि
“गौरव वासन ने वीडियो को शूट करके सोशल मीडिया में पोस्ट किया । साथ ही साथ जनता से पैसे की मांग की। इस बात की जानकारी मालिक कांता प्रसाद ( KANTA PRASAD) को भी नहीं थी।

BABA KA DHABA FRAUD: ढाबे के मालिक ने की पुलिस में रिपोर्ट
मालिक कांता प्रसाद ने होने वाले पैसे की हेराफेरी के लिए गौरव वासन ( GAURAV VASAN) के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट कर दी है। उनका कहना है कि “गौरव वासन ने लोगों को अपना बैंक अकाउंट नंबर दिया ताकि सारे पैसे उसमें जमा हो सके।
लोगों से मिलने वाली मदद सीधे गौरव वासन ( GAURAV VASAN) को मिली। जिसके बारे में कोई भी जानकारी मालिक कांता प्रसाद को नहीं है। जब इस बात का पता ढाबे के मालिक कांता प्रसाद ( KANTA PRASAD)को हुई तो उन्होंने सीधा इसकी रिपोर्ट पुलिस में करा दी है।
बिक्री में आई कमी
जब बाबा के ढाबा ( BABA KA DHABA) का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था ,उस समय उनके ढाबे पर लगातार लोगों की भीड़ लगी रही उस समय रोजाना के ₹10000 से ₹15000 की बिक्री हो जाती थी जिससे आसानी से बाबा के घर का खर्चा चल जाता था। लेकिन आज के समय में ढाबे की बिक्री में कमी आई है, जो अब महज ₹3000 से ₹5000 तक ही रह गई है।
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